शनिदेव (Shani Dev Ji) की आरती

श्री शनिदेव (Shani Dev Ji) की आरती - सभी पीड़ा को दूर करने वाली भगवान शनि ज्योतिष के नवग्रहों में एक हैं। कहते हैं कि उनकी पूजा और आरती करने से उन्हें प्रसन्न करना बहुत जरूरी है। मान्यता है कि जिनके घर में शनिदेव प्रसन्न होते हैं, उन्हें हमेशा सुख और समृद्धि मिलती है। यहां, जय जय श्री शनिदेव की सबसे प्रसिद्ध आरतियों में से एक है।

शनिदेव जी की आरती
शनिदेव जी की आरती

॥ आरती श्री शनिदेव जी॥

जय जय जय जय जय जय शनिदेवा
जय जय शनिदेवा
जय जय श्री शनिदेव
भक्तन हितकारी |

जय जय जय जय जय जय शनिदेवा
जय जय शनिदेवा
जय जय श्री शनिदेव
भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतार।।
जय जय जय श्री शनि देव।।
भक्तन हितकारी।

जय जय जय जय जय जय शनिदेवा
जय जय शनिदेवा
जय जय श्री शनिदेव
भक्तन हितकारी।
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा
जय जय शनिदेवा।।

श्याम अंग वक्र दृष्टि चतुर्भुजा धारी,
चतुर्भुजा धारी।
श्याम अंग वक्र दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी,
गज की असवारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवार।।

जय जय जय जय जय जय शनिदेवा
जय जय शनिदेवा
जय जय श्री शनिदेव
भक्तन हितकारी |
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा
जय जय शनिदेवा।।

क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी,
दिपत है लिलारी।
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलार।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी,
शोभित बलिहारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी।।

जय जय जय जय जय जय शनिदेवा,
जय जय शनिदेवा,
जय जय श्री शनिदेव,
भक्तन हितकारी।
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा
जय जय शनिदेवा।।

मोदक और मिष्ठान चढ़ें, चढ़ती पान चढ़त सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी है अति प्यारी।।
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान हम हैं शरण तुम्हारी।।|
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा
जय जय शनिदेवा।।

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